मैं नहीं, मेरा नहीं, ये तन उसी का है दिया
देने वाले ने दिया, वह भी दिया किसी शान से...
मेरा है!!! ये लेने वाला...
मेरा है!!! ये लेने वाला कह उठा अभिमान से- २
मैं मेरा ये कहने वाला, मन उसी का है दिया- ३
मैं नहीं, मेरा नहीं, ये तन उसी का है दिया.
जो मिला है वो हमेशा...
जो मिला है वो हमेशा पास रह सकता नहीं- २
कब बिछुड़ जाये कोई...
कब बिछुड़ जाये कोई, ये राज कह सकता नहीं...
जिंदगानी का खिला, मधुबन उसी का है दिया- ३
मैं नहीं, मेरा नहीं, ये तन उसी का है दिया...
जग की सेवा खोज अपनी...
जग की सेवा खोज अपनी प्रीत उससे कीजिये-२
जिन्दगी का राज क्या...
जिन्दगी का राज क्या यह जान कर जीलीजिये- 3
साधना की राह पर, साधन उसी का है दिया
मैं नहीं, मेरा नहीं, ये तन उसी का है दिया...
जो भी अपने पास है, वो धन उसी का है दिया...
जो भी अपने पास है, वो सब उसी का है दिया...
मैं नहीं, मेरा नहीं, ये तन उसी का है दिया...
::: पियूष :::
No comments:
Post a Comment