पूरब से उतरी किरणें, प्रदीप्त हुआ प्रभाकर नवीन...
आज प्रभात के घाट पर परिदृश्य हैं नवनीत.
पुष्प-कीरीट से शोभित धरा, महकी क्यारी-क्यारी...
शरद ने शृंगार किया, हर्षित है हर डाली-डाली.
इंद्रधनुष के रंग भर, प्रकृति मनाए उत्कर्ष...
भाव भरे जनकल्याण का और कहें सहर्ष.
मंगलमय हो नववर्ष...
मंगलमय हो नववर्ष...
::: पियूष :::
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