लो! आ गया फिर से नव वर्ष...
लो! आ गया फिर से नव वर्ष...
लोग दे रहे बधाइयाँ सहर्ष, पर क्या बदलेगा इस वर्ष?
क्या होगा भ्रष्टाचारी का? महंगाई से लाचारी का?
काश कुछ हो जाये ऐसा, मेरा देश हो जन्नत जैसा...
हर तरफ हरियाली हो, न जेब की खली हो...
लोगों के सोच निराली हो, और हर दिन एक दिवाली हो...
मेहनत से करें सब काम, और कम करें आराम...
हर गाँव हो ऐसा जैसें, एक छोटा जापान...
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