घर से निकले तो हो, सोचो किधर जाओगे? हर तरफ तेज हवाएं है, बिखर जाओगे...
इतना आसन नही लोगों पे भरोसा करना. अपनों को ही दिल पुकारेगा, जिधर जाओगे...
शाम होते ही सिमट जायेंगे सारे रास्ते. उड़ते गगन में जहाँ होंगे, ठहर जाओगे...
हर नए शहर में कुछ राते कड़ी होती है. छत से दीवारें जुदा होगी तो डर जाओगे...
पहले हर चीज़ नज़र आएगी बेगानी सी, उठा लोगे और अपनी ही नज़र से उतर जाओगे...
घर से निकले तो हो, सोचो किधर जाओगे? हर तरफ तेज हवाएं है, बिखर जाओगे...
:: पियूष ::
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